धम्मपद ४४ , ४५ पञ्चसता भिक्खु वठु

पाँच सो भिक्खुवों की कहानी | 

जब बुद्ध जेतवन मठ मे रह रहे थे , बुद्ध ने यह धम्मपद उन पाँच सो भिक्खुवों के संदर्भ मे कहा | 

पाँच सो भिक्खु भगवान बुद्ध को साथ देकर गाव से जेतवन मठ पहुँचे | शाम को , जब भिक्खु उस यात्रा के बारे मे बात कर रहे थे , मुख्य तोर से जमीन की रचना , क्या वह समतल या पहाड़ी थी , या धरती मट्टी युक्त थी या रेत , लाल या काली , इत्यादि | बुद्ध उनके पास आये , उनके बातचीत का विषय पता था , उन्होंने उनसे कहा , " भिक्खुवों , पृथ्वी जिसकी बात कर रहे हो वह शरीर से बाहर है , अच्छा होगा अगर तुम अपने खुद के शरीर का परीक्षण करो और ध्यान लगाने के लिए तैयारी करो | 

तब बुद्ध ने यह धम्मपद कहा | 
" कौन पृथ्वी ( शरीर ) का परीक्षण करेगा , यम जगत और मनुष्य जगत और देव लोक मिला के  ?  कौन परीक्षण करेगा इस अच्छे से बताये सदाचारी धर्म ( धम्मपद ) जैसे माहिर माली फूलों को चुनता है  ? "

" अरिया सेखा पृथ्वी ( शरीर ) का परीक्षण करेगा , यम जगत के साथ मनुष्य जगत और देव जगत | अरिया सेखा इस अच्छे से बताये सदाचारी धर्म ( धम्मपद ) का परिक्षण करेगा जिस तरह माहिर माली फूलों को चुनता है  | "

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