जानिये विप्पश्यना के बारे में

भारत की सबसे प्राचीन कला है विप्पश्यना !! इसे लोग ध्यान करना या तप करना कहते है। बहुत लोगो को शायद मालूम नहीं है के ध्यान लगाकर आप भी परम सुख या भगवान पा सकते है। आज कल भारत में भक्ति करना या मंदिर में चढ़ावा भगवान पाने का ज़रिया माना जाता है।

पर भगवान और ईश्वर का मतलब एक नहीं है । भगवान इंसान भी बन सकता है। भगवान का मतलब है ' खुद की वासना , क्रोध इत्यादि को समाप्त करना '।

ईश्वर या कोई परआत्मा हमारी परेशानिया दूर नहीं कर सकता , चाहे आप कितने ही चढ़ावे चढ़ा दो | केवल सत्य का अहसास ही दुखों से मुक्ति कर सकता है | इसके लिए स्वयं प्रयास करना पड़ेगा | 



कभी आप ने सोचा की आप भी तप या meditation करना सिख लें !!

यह परंपरा भारत में हज़ारो सालो से चलती आ रही है। इसी के बलबूते भारत में लोग महान बने थे । हर मानव विपश्यना से अपना स्वयं का मालिक बन के परम सुख का अनुभव पा सकता है। विपश्यना का मतलब है खुद को जानना।

आप चाहे कितने भी धार्मिक ग्रंथ पढ़ ले।
आप पायेंगे की आप बस बुद्धी के स्तर पर ही समझ रहे है या फिर डर के मारे रटे जा रहे है।  मन तो कुछ और ही कह रहा है।

आप कोई भी चीज तभी अच्छी तरह से समझते है जब आप अनुभूति से जानते है। सही तरह से की गयी विपश्यना के नियमित अभ्यास से आप भी मुक्ति पा सकते है। 

यह विद्या आप विनामुल्य सिख सकते है |

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