झेन कहानियाँ

झेन जापान मे प्रचलित बुद्धिज़्म का पंथ है । उसकी एक अलग शैली है । झेन उश्ताद होते है जो बड़े दिलचस्प शब्दों में पाठ पढ़ाजाते है । ये कहानियाँ बहुत मशहूर है दुनिया में ।
कुछ कहानियाँ मै आपके साथ साझा करता हुँ ।

सब कुछ भ्रम है |
 
एक बार एक साधक zen मास्टर के पास आया और कहने लगा मुझे इस बात का साक्षात्कार  हो गया है की ये सारी दुनिया माया है। ये बुद्ध , मन और सारा संसार अस्तित्व मे नही पर माया है। तभी zen मास्टर उठे और बाहर जाकर एक बाम्बू ले आये और जोर से साधक के सर पे दे मारा । तब क्रोधित होकर साधक चिल्लाया " पागल हो गया है क्या ? "

तब zen मास्टर ने कहा " जब सब माया है तो ये क्रोध कहा से आया ? "

ऐसा क्या !!
एक बहुत अधिक सुंदर अविवाहित लड़की थी जिसके माता पिता सब्जी का दुकान चलाते थे । एक दिन उनको पता चला की उनकी लड़की माँ बनने वाली है । तब उनको बहुत गुस्सा आया । पूछने पर लड़की ने बताया के इस बच्चे का बाप हकुन नाम का zen मास्टर है । तब वे उसको हकुन मास्टर के पास ले गए । माता पिता ने हकुन मास्टर को बहुत भला बुरा सुनाया और बहुत गालिया दी । तब हकुन मास्टर ने कहा " ऐसा क्या !! "

कुछ महीने बाद बच्चा पैदा हुवा तो वे उस बच्चे को हकुन मास्टर के यहाँ ले गए और कहा के ये बच्चा हकुन का है। उसे ही बच्चे को सँभालना है । तब हकुन मास्टर ने कहा " ऐसा क्या !! "

कुछ दिन बाद लड़की को गलती का अहसास हुवा और माता पिता को सच बता दिया के बच्चे का बाप एक युवक है जो दुकान आया था । तब माता पिता शर्मिंदा हुवे और हकुन मास्टर से माफ़ी माँगकर बच्चे को वापस ले जाने को मनाने लगे । तब zen मास्टर ने कहा " ऐसा क्या !! "

स्वर्ग और नरक 
एक बहुत क्रोधी और अभिमानी सैनिकों का  सरदार था जो स्वर्ग और नरक का पता लगाना चाहता था । राह से गुजरते हुवे एक विहार में उसने एक भिक्षु को देखा जो बुद्ध वंदना में व्यस्त था । तब उस ने भिक्षु को बाहर आने को कहा । भिक्षु चुप चाप अपना काम करता रहा । तब बहुत क्रोधित होकर सरदार भिक्षु को गालिया देने लगा ।
फिर भी भिक्षु चुप चाप नजर अंदाज़ कर गया । तब सरदार ने तलवार निकाल भिक्षु के गले लगाकर कहा " अगर तुमने स्वर्ग और नरक का पता नहीं बताया तो में तुम्हें मार दूँगा । " तब भिक्षु ने कहा " यहाँ है नरक "। गुस्सा ठंडा होने पर शांत होकर जब सरदार ने तलवार नीचे रख दी । तब  भिक्षु ने कहा " यहा है स्वर्ग  "।

हो सकता है 
एक दिन किसान का एक घोड़ा भाग जाता है । जब पड़ोसी को ये बात पता चलती है तो वो किसान को कहता है ।  " बहुत बुरा हुवा । तुम बड़े अभागे हो । " 
कुछ दिन बाद वह घोड़ा एक जंगली घोड़े के साथ वापस किसान के घर आता है । यह देखकर पड़ोसी किसान को कहता है । तुम बहुत भाग्यशाली हो । किसान कहता है । हो सकता है ।
दूसरे दिन जब किसान का लड़का जंगली घोड़े पर सवार होने का प्रयास  करते वक़्त गिर जाता है और बुरी तरह घायल हो जाता है । पडोसी किसान को कहता है के तुम बड़े अभागे हो । किसान कहता है । " हो सकता है । "
कुछ दिन में युद्ध के लिए सैनिक गाव के युवा लड़कों को जबरन शामिल करने आ जाते है ।
किसान के घायल  लड़के की हालत देखकर सैनिक वैसे ही लौट जाते है तब पड़ोसी किसान को कहता है । तुम बड़े भाग्य वान हो । तब किसान  कहता है । " हो सकता है ! "

चाय की कहानी 
 एक दिन zen मास्टर के पास बड़े महाविद्यालय के प्राध्यापक zen और बुद्धिज़्म  के बारे में सीखने के लिए आये । उन्होंने उनसे सीखने की मनीषा व्यक्त की । मास्टर ने पूछा आप zen और बुद्धिज़्म के बारे में कितना जानते है तब प्राध्यापक ने कहा मैंने कही सारी पुस्तकें पढ़ी है इनके बारे में ।
तभी वे बात कर रहे थे तो zen मास्टर कप में चाय भरते गए । इतने में प्राध्यापक का ध्यान कप की ओर गया । कप भर गया था और मास्टर रुक ही नहीं रहे थे । बहुत कहने के बाद के बाद भी न रुकने पर  प्राध्यापक चिल्ला कर कह गए रोकते क्यों नहीं ? चाय पूरी फैला दोगे क्या घर में !!

तभी zen मास्टर ने कहा आपका कप भी तो भरा पड़ा है ज्ञान से , में कैसे  भरे कप में और कुछ ज्ञान जमा करूँ !!

सबकुछ उत्कृष्ट है ।
ग्राहक एक दिन कसाई के दुकान पर गया और कहने लगा । तुम्हारे दुकान मे सबसे अच्छा वाला मटन का टुकड़ा मुझे खरीदना है । तब कसाई ने कहा यहा सबकुछ सबसे अच्छा है ,  ख़राब कुछ नही है । तभी ग्राहक को ज्ञान प्राप्ति का अहसास हुवा और तबसे हर चीज नए नज़रिये से देखने लगा ।

बोझ 
एक दिन बहुत जोर की बारिश मे दो भिक्षु जा रहे थे । बारिश बहुत अधिक होने से कीचड़ हो गया था इसलिए चलने मे मुश्किल हो रही थी । तभी एक बहुत सुंदर लड़की नज़र आई जो कीचड़ मे चल नही पा रही थी और मदत लिए कह रही थी । तब बड़े भिक्षु ने उस कंधे पे उठा कर नाला पार कराया और अलविदा कह के दोनों भिक्षु चल पड़े । दूसरे साधक को ये अच्छा नहीं लगा । वह दूर राह तक कोसते हुवे कहने लगा हम भिक्षु को स्त्री
का स्पर्श त्याज्य है ना ? तब बड़े भिक्षु ने कहा बिलकुल ठीक !! तब पहले भिक्षु ने कहा " तब तुमने उस लड़की को क्यों उठाकर नाला पार कराया ? " बड़े भिक्षु ने कहा " मैने तो कब का उस लड़की का बोझ किनारे पर ही उतार दिया है , तुम तो अभी तक उस लड़की का बोझ सर पर उठाये चल रहे हो । "

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