धम्मपद ६४ उदयी थेरा वठु
उदयी थेरा की कहानी |
जब बुद्ध जेतवन मठ मे रह रहे थे , तब उन्होंने यह धम्मपद मिथ्याभिमानी भिक्खु थेरा उदयी के संधर्भ मे कहा |
थेरा उदयी अक्सर उस आसन पर बैठ जाता जिसपर विद्वान भिक्खु प्रवचन देते थे | एक समय , एक भेट देने वाले भिक्खु , उसको बहुत विद्वान भिक्खु समझकर , उससे पंच तत्वों के बारे मे पूछा | थेरा उदयी जवाब नही दे सका , क्योंकि उसको धम्म के बारे मे कुछ पता ही नही था | तब उन भिक्खुवों को बहुत आच्छर्य हुवा ये जानकर के बहुत जादा समय तक बुद्ध जिस मठ मे रहते है उस मठ मे रहकर भी थेरा उदयी पंच तत्व और अयातन के बारे मे कुछ नही जानता था |
उनको भगवान बुद्ध ने कहा |
" एक मुर्ख , अगर वह बुद्धिमान के साथ पुरी जिंदगी भी रहे , धम्म को नही जान पाता , उसी तरह जैसे चमच शोरबे का स्वाद नही जान पाता | "
जब बुद्ध जेतवन मठ मे रह रहे थे , तब उन्होंने यह धम्मपद मिथ्याभिमानी भिक्खु थेरा उदयी के संधर्भ मे कहा |
थेरा उदयी अक्सर उस आसन पर बैठ जाता जिसपर विद्वान भिक्खु प्रवचन देते थे | एक समय , एक भेट देने वाले भिक्खु , उसको बहुत विद्वान भिक्खु समझकर , उससे पंच तत्वों के बारे मे पूछा | थेरा उदयी जवाब नही दे सका , क्योंकि उसको धम्म के बारे मे कुछ पता ही नही था | तब उन भिक्खुवों को बहुत आच्छर्य हुवा ये जानकर के बहुत जादा समय तक बुद्ध जिस मठ मे रहते है उस मठ मे रहकर भी थेरा उदयी पंच तत्व और अयातन के बारे मे कुछ नही जानता था |
उनको भगवान बुद्ध ने कहा |
" एक मुर्ख , अगर वह बुद्धिमान के साथ पुरी जिंदगी भी रहे , धम्म को नही जान पाता , उसी तरह जैसे चमच शोरबे का स्वाद नही जान पाता | "