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धम्मपद १०२ , १०३ कुण्डलकेसीथेरी वठु

थेरी कुण्डलकेसी की कहानी | जब बुद्ध जेतवन मठ मे ठहरे हुवे थे तब यह धम्मपद उन्होंने थेरी कुण्डलकेसी के संदर्भ मे कहा | कुण्डलकेसी राजगृह नगर के अमिर आदमी की बेटी थी | उसने जीवन समाज से अलग रहकर बिताया था | उन दिनों माता पिता बेटियों को बुरे संगती से बचने के लिए समाज से अलग रखते थे | वह उसका विवाह अच्छे और अमिर लडके से लगाना चाहते थे | लेकिन एक दिन , उसने देखा के एक चोर को नगर से ले जाया जा रहा था उसे मार देने के लिए और वह उसके प्रेम मे पड़ गयी | वह चोर से शादी करने के जिद पर तुली रही | माता पिता न चाहते हुवे भी राजी हो गए क्योंकि उनको अपने लड़की की जान की परवाह थी |  उसके माता पिता को उस चोर को छुड़ाने के लिए पैसे देने पड़े और उन्होंने उसकी शादी चोर से कर दी | हालाँकि उसने पति से जी जान से प्रेम किया , उसका पति चोर होने के कारण , केवल उसके संपत्ति और गहनों मे रूचि रखता था | एक दिन उसने सारे गहने उतारने को राजी कर लिया और उसे पर्वत पर ले गया यह कहकर के वह पर्वत के रक्षणकर्ता देवता का शुक्रिया करना है जिसने उसे मरने से बचाया था | कुण्डलकेसी उसके पति के साथ गयी , ...

धम्मपद ३८ , ३९ चित्तहत्थ थेरा वठु

थेरा चित्तहत्थ थेरा की कहानी |  जब भगवान बुद्ध जेतवन मठ में रह रहे थे तब उन्होंने चित्तहत्थ थेरा के संधर्भ में यह कहा |  सावत्थी से एक आदमी अपने बैल को ढूंढते ढुंडते वन में पहुँचा , उसे बहुत भूख लगी इसलिये गाव के नझदिगी मठ में गया , जहा उसे सुबह का बचा हुवा खाना दिया गया | जब वह खाना खा रहा था उसे अहसास हुवा के वह बहुत मेहनत करता है फिर भी उसे इतना अच्छा खाना नहीं मिलता , अगर वह भी भिक्खु बन जाये तो उसे भी अच्छा खाने को मिलेगा | तो उसने भिक्खु संघ में प्रवेश के लिये भिक्खुवों से पूछा | मठ में उसने भिक्खुवों की सारे कर्तव्यों का पालन किया , क्योंकि वहा बहुत सारा खाना मिलता था तो उसका वजन बहुत कम समय में बढ़ गया | थोड़े दिनों बाद उसको भिक्षा माँगकर खाना खाना थकावट भरा लगने लगा तो वो ग्रहस्त जीवन में लौट गया | थोड़े दिनों बाद उसे घर का जीवन बहुत श्रमपूर्ण लगा इसलिए वह दुसरी बार मठ चला गया , भिक्खु बनने के लिए | दूसरी बार फिर उसने फिर छोड़कर घर चला गया | तीसरी बार फिर मठ चला गया और फिर वापस गृहस्त बना | ऐसे जाने आने की प्रक्रिया छह बार चली , वह ऐसे केवल ...

धम्मपद ४०० सरिपुत्तत्थेरा वठु

थेरा सारिपुत्त की कहानी | जब भगवान बुद्ध वेळुवन मठ मे ठहरे हुवे थे तब यह धम्मपद उन्होंने भंते सारिपुत्त के संदर्भ में कही | जब भगवान बुद्ध वेळुवन मठ में रुके हुवे थे , तब भंते सारिपुत्त पाँच सो भिक्खुवों के साथ नलका गाव में आये , वे भिक्षा के लिये अपने माता के घर के द्वार पर रुके |  उनके माता ने उन सबको घर में आने दिया | पर जब वह उसके पुत्र सारिपुत्त को खाना परोस रही थी तब उसने कहा , ओ तुम बचा हुवा खाने वाले , तुम जिसने अस्सी करोड़ त्याग दिए भिक्खु बनने के लिए , तुमने हमें बरबाद कर दिया | " तब , उसने भिक्षा में दूसरे भिक्खुवों को खाना दिया और रूखे स्वर में कहा " तुम सब ने मेरे बेटे को उम्मीद में इस्तेमाल किया है | अब खाना खाव | भंते सारिपुत्त ने जवाब ने कुछ नहीं कहा और नर्मी से वापस मठ में आ गए | वापस मठ में भिक्खुवों ने बुद्ध को बताया किस तरह भंते सारिपुत्त ने धीरज से अपनी माता की डाट और गलियों का सामना किया | उन सबको बुद्ध ने कहा अरहंत कभी क्रोधित नहीं होते , वे कभी खुद का आपा नहीं खोते | तब बुद्ध ने यह धम्मपद कहा | " मै ब्राह्मण उसे कहता हु जो गुस्सा नहीं होता , जो तपस...

झेन कहानियाँ

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झेन जापान मे प्रचलित बुद्धिज़्म का पंथ है । उसकी एक अलग शैली है । झेन उश्ताद होते है जो बड़े दिलचस्प शब्दों में पाठ पढ़ाजाते है । ये कहानियाँ बहुत मशहूर है दुनिया में । कुछ कहानियाँ मै आपके साथ साझा करता हुँ । सब कुछ भ्रम है |   एक बार एक साधक zen मास्टर के पास आया और कहने लगा मुझे इस बात का साक्षात्कार  हो गया है की ये सारी दुनिया माया है। ये बुद्ध , मन और सारा संसार अस्तित्व मे नही पर माया है। तभी zen मास्टर उठे और बाहर जाकर एक बाम्बू ले आये और जोर से साधक के सर पे दे मारा । तब क्रोधित होकर साधक चिल्लाया " पागल हो गया है क्या ? " तब zen मास्टर ने कहा " जब सब माया है तो ये क्रोध कहा से आया ? " ऐसा क्या !! एक बहुत अधिक सुंदर अविवाहित लड़की थी जिसके माता पिता सब्जी का दुकान चलाते थे । एक दिन उनको पता चला की उनकी लड़की माँ बनने वाली है । तब उनको बहुत गुस्सा आया । पूछने पर लड़की ने बताया के इस बच्चे का बाप हकुन नाम का zen मास्टर है । तब वे उसको हकुन मास्टर के पास ले गए । माता पिता ने हकुन मास्टर को बहुत भला बुरा सुना...

जातक कथा संग्रह

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मेहनत न करने का फल  एक किसान था ।  वह खेती करने के लिए दो बैल पालता था । वह बैल खेती में बड़ी मेहनत करते थे । पर किसान उन दोनों का  कुछ खास ख़याल नहीं रखता था । उन दोनों के लिए बस कुछ सुखी घास डालता था । बहुत दिन ऐसे ही बिताने के बाद एक बैल दूसरे से बोला | " हम इतनी मेहनत करते है और किसान हमें खाने के लिए सिर्फ कुछ सुखी घास और रहने के लिए यह गंदी सी जगह का ही इंतज़ाम कर पाया है । मैं तो इस फ़िजूल की मेहनत से परेशान हो गया हुं ।  हम दोनों से अच्छा तो उस किसान के सुवर है जो बिना कुछ किये दिन रात बहुत दिनों से अच्छा खाना खा रहे है । किसान उनका कितना ख्याल रखता है । " यह बात सुनकर दूसरे बैल ने उसे कुछ दिन और रुकने के लिए कहता है । एक दिन किसान घर जल्दी आ जाता है । उसके साथ कुछ मेहमान भी होते है । दरअसल किसान उनको अपनी बेटी के लिए रिश्ता तय करने के लिए घर बुलाता है । रसोई घर में महिलाये जोरो से काम की तैयारी कर रही होती  है । कुछ ही देर में किसान बाहर आता है और सुवरो को मुक्त करके उनका गला काट देता है । यह सारी घटना देखकर बोधिसत्व बैल पहले ...