धम्मपद ३१८ , ३१९ तिथियासवका वठु

गैर बौद्ध सन्यासियों के अनुयायियों की कहानी |

जब बुद्ध निर्गोदरम मठ रह रहे थे तब उन्होंने यह धम्मपद तिथि के अनुयायियों के संदर्भ मे कहा |

तिथि के अनुयायी नही चाहते थे के उनके बच्चे बुद्ध के अनुयायियों के बच्चों के साथ मिले | वह अक्सर अपने बच्चों से कहते , " जेतवन मठ मे न जावो , साक्य वंश के भिक्खुवों का आदर मत करो | " एक अवसर पर , तिथि के बच्चे बौद्ध बच्चे के साथ जेतवना मठ के दरवाज़े के बाहर खेल रहे थे , उनको बहुत प्यास लगी | जिस प्रकार तिथि के अनुयायियों ने अपने बच्चों से कहा था के जेतवन मठ मे प्रवेश नही करना है , तो उन्होंने बौद्ध बच्चों से अंदर जाकर पानी लाने को कहा | नन्हा बौद्ध बच्चा बुद्ध को आदर प्रकट करने गया जब उसने पानी पी लिया था , और उसने उसके मित्रों के बारे मे बताया जिनके माता पितावों ने मठ मे आने से मना किया था | बुद्ध ने तब बौध्द बच्चे से कहा के वह उन बच्चों को अंदर आकर पानी पिने के लिए कहे | जब वे बच्चे आये , बुद्ध ने उनको उनके मुताबिक उपदेश किया | इससे , उन बच्चों का तीन रत्नों ( बुद्ध , धम्म और संघ ) मे विश्वास हुवा |

जब बच्चे घर गए , उन्होंने उनके जेतवन मठ मे जाने की बात बताई और बुद्ध ने बताने तीन रत्न ( बुद्ध , धम्म और संघ ) के बारे मे समझाया | उन बच्चों के पालक , अज्ञानता से रो पड़े , " हमारे बच्चे अपनी श्रद्धा से निष्ठाहीन है , वे बर्बाद हो गए है ," इत्यादि | कुछ बुद्धिमान पड़ोसियों ने आक्रोश करते हुवे पालकों को शांत करके अपने बच्चों को बुद्ध के पास जाने को अनुमति रहने देने को कहा | किसी तरह वे शांत हुवे और अपने बच्चों के साथ बुद्ध से मिले | 

तब बुद्ध ने यह धम्मपद कहा | 
" वह प्राणी जो गलत नही उसके गलत होने की कल्पना करते है , जो गलत है उसमे गलती नही देखते , और जो गलत धारणायें रखता है वह दुर्गति की ओर बढ़ता है  | "

प्राणी जो गलत है उसे गलत समझता है , जिसे सही का सही अहसास है , और जो सही धारणायें रखता है उसकी सुगति होती है  | 

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