कमल का फुल

एक बार भगवान बुद्ध एक गांव से दूसरे गांव प्रवचन करते करते , एक जगह ठहर गए | वह एक आदमी आया | आदमी ने भगवान बुद्ध से कहा मै  आपके प्रवचन सुनता रहता हुं और अच्छा आचरण भी करता हुं लेकिन मै जहा रहता हुं और जहा रहता हुं वहा के लोक गलत आचरण करते है |

मै उनको देखकर निराशा महसूस करता हुं | 
मुझे अच्छे लोग बहुत कम ही नजर आते है तो मै भी सन्यास जीवन मे चला जावु ! भगवान बुद्ध बोले यह सही नही के आप दूसरे लोगो की ग़लतियाँ निकालते रहे और अपना अच्छा व्यवहार त्याग करे | हमें अपना जीवन कमल की तरह बनाना चाहिए | कमल कीचड़ मे उगता ही नहीं खिलखिलाता हुए बड़ा सुंदर बढ़ता भी है | चाहे कितना ही कीचड़ या पानी हो उसे असर नहीं होता | नहीं कीचड़ नहीं पानी कमल अपने ऊपर रहने देता है , और साफ सुथरा रहता है | हम चाहे कही पर भी हो गलत लोगो या जगह पर , हमें कमल की तरह पवित्र ही रहना है |

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