व्यक्ति चार प्रकार के
एक बार बुद्ध उपदेश के लिए बहुत दूर चलते हुवे एक गाव में पहुँच कर कुछ समय विश्राम के लिए ठहरे हुवे थे ।
तब यह बात गाव में फेल गयी । तभी एक बुजुर्ग इंसान ने बुद्ध से मिलने की ठानी । बुद्ध से मिलने के बाद उसने बुद्ध से पूछा " ये महान व्यक्ति जरा मुझे यह बताइये की इस दुनिया में सबसे श्रेष्ठ इंसान कोण है ?"
तब भगवान बुध ने कहा " हे सज्जन पुरुष, वैसे किसी एक व्यक्ति का नाम बताना तो मुश्किल है , पर इतना ज़रूर बता सकता हुं की दुनिया में चार प्रकार के इंसान होते है ।
पहले प्रकार का इंसान जो नहीं खुद के लिए जीता है , न ही औरो के लिए । वह एक चिता के समान है क्योंकि वह किसी काम नहीं आता , और एक दिन ऐसे ही शरीर त्याग देता है ।
दूसरे प्रकार का इंसान जो दुसरो के लिए जीता है और खुद के प्रति उपेक्षा से जीता है । वह पहले प्रकार के इंसान से अच्छा जीवन जीता है । वह खुश नहीं होता पर थोड़े ही संतोष के साथ जीता है ।
तीसरे प्रकार का इंसान सिर्फ खुद के लिए जीता है , औरो के प्रति वह उपेक्षा की भावना से जीता है । वह खुश रहता है मगर पुण्य नहीं कम पाता ।
चौथे प्रकार का इंसान खुद के लिए भी जीता है और लोगो की भी सहायता करता है । खुद का और दुसरो का भला करता है । इस प्रकार का इंसान सबसे अधिक श्रेष्ठ है । ऐसे इंसान समाज के भलाई के लिए काफी जरूरी और उपयुक्त होते है ।
इंसान को चाहिए की वह खुद का भी ख़याल रखे और औरो के लिए भी भला करे । इंसान की खुद के प्रति भी उतनी ही ज़िम्मेदारी बनती है ।
तब यह बात गाव में फेल गयी । तभी एक बुजुर्ग इंसान ने बुद्ध से मिलने की ठानी । बुद्ध से मिलने के बाद उसने बुद्ध से पूछा " ये महान व्यक्ति जरा मुझे यह बताइये की इस दुनिया में सबसे श्रेष्ठ इंसान कोण है ?"
तब भगवान बुध ने कहा " हे सज्जन पुरुष, वैसे किसी एक व्यक्ति का नाम बताना तो मुश्किल है , पर इतना ज़रूर बता सकता हुं की दुनिया में चार प्रकार के इंसान होते है ।
पहले प्रकार का इंसान जो नहीं खुद के लिए जीता है , न ही औरो के लिए । वह एक चिता के समान है क्योंकि वह किसी काम नहीं आता , और एक दिन ऐसे ही शरीर त्याग देता है ।
दूसरे प्रकार का इंसान जो दुसरो के लिए जीता है और खुद के प्रति उपेक्षा से जीता है । वह पहले प्रकार के इंसान से अच्छा जीवन जीता है । वह खुश नहीं होता पर थोड़े ही संतोष के साथ जीता है ।
तीसरे प्रकार का इंसान सिर्फ खुद के लिए जीता है , औरो के प्रति वह उपेक्षा की भावना से जीता है । वह खुश रहता है मगर पुण्य नहीं कम पाता ।
चौथे प्रकार का इंसान खुद के लिए भी जीता है और लोगो की भी सहायता करता है । खुद का और दुसरो का भला करता है । इस प्रकार का इंसान सबसे अधिक श्रेष्ठ है । ऐसे इंसान समाज के भलाई के लिए काफी जरूरी और उपयुक्त होते है ।
इंसान को चाहिए की वह खुद का भी ख़याल रखे और औरो के लिए भी भला करे । इंसान की खुद के प्रति भी उतनी ही ज़िम्मेदारी बनती है ।