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भिक्षुणी धम्मदिन्ना की कहानी

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श्रावस्ती नगर में एक बहुत धनवान व्यापारी की एक बेटी थी | एकलौती होने के कारन उसे बड़ा लाड प्यार किया जाता था | वह उसके घर के दूसरे मजिंला घर की खिड़की से नीचे आने जाने वाले लोग और दिन चर्या को देखती रहती | जब वह बड़ी होने लगी उसे नगर में आने जाने वाले एक भील से मोह हो गया | जिसको वह खिड़की से देखा कराती थी | वह भील जंगलों से अजीब अजीब जड़ी बूटी और प्राणियों को बेचने के लिए नगर में आया करता था | लड़की के माता पिता उससे बहुत अधिक प्यार करते थे | वह बहुत अमिर भी थे | उसके माता पिता चाहने लगे की उसकी शादी किसी अच्छे अमिर लड़के से कर दे | एक दिन लड़की ने उस भील से बात करके पहचान बना ली | फिर एक दिन वह उस भील लड़के के साथ खुद ही भाग करके शादी कर ली | यहाँ माता पिता को कुछ पता नहीं चला | वह लड़की उस भील के साथ जंगल में एक कुटिया में रहने लगी | वह दोनों वैसे ही जंगलो में रहने वाले लोगो की तरह उदर निर्वाह करने लगे | उसने दो लड़कों को जन्म भी दिया | एक दिन जब वह राह से गुजरते गुजरते जा रहे थे तब दूसरा लड़का पैदा हुवा था वह बहुत अशक्त महसूस कर रही थी | उसके पति ने वैसे ही कुछ करके वह कुटिया बना दी | ...

कमल का फुल

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एक बार भगवान बुद्ध एक गांव से दूसरे गांव प्रवचन करते करते , एक जगह ठहर गए | वह एक आदमी आया | आदमी ने भगवान बुद्ध से कहा मै  आपके प्रवचन सुनता रहता हुं और अच्छा आचरण भी करता हुं लेकिन मै जहा रहता हुं और जहा रहता हुं वहा के लोक गलत आचरण करते है | मै उनको देखकर निराशा महसूस करता हुं |  मुझे अच्छे लोग बहुत कम ही नजर आते है तो मै भी सन्यास जीवन मे चला जावु ! भगवान बुद्ध बोले यह सही नही के आप दूसरे लोगो की ग़लतियाँ निकालते रहे और अपना अच्छा व्यवहार त्याग करे | हमें अपना जीवन कमल की तरह बनाना चाहिए | कमल कीचड़ मे उगता ही नहीं खिलखिलाता हुए बड़ा सुंदर बढ़ता भी है | चाहे कितना ही कीचड़ या पानी हो उसे असर नहीं होता | नहीं कीचड़ नहीं पानी कमल अपने ऊपर रहने देता है , और साफ सुथरा रहता है | हम चाहे कही पर भी हो गलत लोगो या जगह पर , हमें कमल की तरह पवित्र ही रहना है |

जानिये विप्पश्यना के बारे में

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भारत की सबसे प्राचीन कला है विप्पश्यना !! इसे लोग ध्यान करना या तप करना कहते है। बहुत लोगो को शायद मालूम नहीं है के ध्यान लगाकर आप भी परम सुख या भगवान पा सकते है। आज कल भारत में भक्ति करना या मंदिर में चढ़ावा भगवान पाने का ज़रिया माना जाता है। पर भगवान और ईश्वर का मतलब एक नहीं है । भगवान इंसान भी बन सकता है। भगवान का मतलब है ' खुद की वासना , क्रोध इत्यादि को समाप्त करना '। ईश्वर या कोई परआत्मा हमारी परेशानिया दूर नहीं कर सकता , चाहे आप कितने ही चढ़ावे चढ़ा दो | केवल सत्य का अहसास ही दुखों से मुक्ति कर सकता है | इसके लिए स्वयं प्रयास करना पड़ेगा |  कभी आप ने सोचा की आप भी तप या meditation करना सिख लें !! यह परंपरा भारत में हज़ारो सालो से चलती आ रही है। इसी के बलबूते भारत में लोग महान बने थे । हर मानव विपश्यना से अपना स्वयं का मालिक बन के परम सुख का अनुभव पा सकता है। विपश्यना का मतलब है खुद को जानना। आप चाहे कितने भी धार्मिक ग्रंथ पढ़ ले। आप पायेंगे की आप बस बुद्धी के स्तर पर ही समझ रहे है या फिर डर के मारे रटे जा रहे है।  मन तो कुछ और ही कह रहा है। आप कोई भी च...

झेन कहानियाँ

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झेन जापान मे प्रचलित बुद्धिज़्म का पंथ है । उसकी एक अलग शैली है । झेन उश्ताद होते है जो बड़े दिलचस्प शब्दों में पाठ पढ़ाजाते है । ये कहानियाँ बहुत मशहूर है दुनिया में । कुछ कहानियाँ मै आपके साथ साझा करता हुँ । सब कुछ भ्रम है |   एक बार एक साधक zen मास्टर के पास आया और कहने लगा मुझे इस बात का साक्षात्कार  हो गया है की ये सारी दुनिया माया है। ये बुद्ध , मन और सारा संसार अस्तित्व मे नही पर माया है। तभी zen मास्टर उठे और बाहर जाकर एक बाम्बू ले आये और जोर से साधक के सर पे दे मारा । तब क्रोधित होकर साधक चिल्लाया " पागल हो गया है क्या ? " तब zen मास्टर ने कहा " जब सब माया है तो ये क्रोध कहा से आया ? " ऐसा क्या !! एक बहुत अधिक सुंदर अविवाहित लड़की थी जिसके माता पिता सब्जी का दुकान चलाते थे । एक दिन उनको पता चला की उनकी लड़की माँ बनने वाली है । तब उनको बहुत गुस्सा आया । पूछने पर लड़की ने बताया के इस बच्चे का बाप हकुन नाम का zen मास्टर है । तब वे उसको हकुन मास्टर के पास ले गए । माता पिता ने हकुन मास्टर को बहुत भला बुरा सुना...

जातक कथा संग्रह

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मेहनत न करने का फल  एक किसान था ।  वह खेती करने के लिए दो बैल पालता था । वह बैल खेती में बड़ी मेहनत करते थे । पर किसान उन दोनों का  कुछ खास ख़याल नहीं रखता था । उन दोनों के लिए बस कुछ सुखी घास डालता था । बहुत दिन ऐसे ही बिताने के बाद एक बैल दूसरे से बोला | " हम इतनी मेहनत करते है और किसान हमें खाने के लिए सिर्फ कुछ सुखी घास और रहने के लिए यह गंदी सी जगह का ही इंतज़ाम कर पाया है । मैं तो इस फ़िजूल की मेहनत से परेशान हो गया हुं ।  हम दोनों से अच्छा तो उस किसान के सुवर है जो बिना कुछ किये दिन रात बहुत दिनों से अच्छा खाना खा रहे है । किसान उनका कितना ख्याल रखता है । " यह बात सुनकर दूसरे बैल ने उसे कुछ दिन और रुकने के लिए कहता है । एक दिन किसान घर जल्दी आ जाता है । उसके साथ कुछ मेहमान भी होते है । दरअसल किसान उनको अपनी बेटी के लिए रिश्ता तय करने के लिए घर बुलाता है । रसोई घर में महिलाये जोरो से काम की तैयारी कर रही होती  है । कुछ ही देर में किसान बाहर आता है और सुवरो को मुक्त करके उनका गला काट देता है । यह सारी घटना देखकर बोधिसत्व बैल पहले ...

राजकुमार सिद्धार्थ की कहानी

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भिक्षु बनने के पहले भगवान बुद्ध शाक्य कुल के राजकुमार थे ।  उनका नाम सिद्धार्थ रखा गया था । उनकी माँ महामाया नेपाल देश के एक राज्य में कोलिय कुल की राजकुमारी थी । उनका विवाह राजा शुद्धोदन से हुवा था । ये दोनों कुल के लोग सिर्फ एक दूसरे के कुल में ही विवाह करते थे क्योंकि वे राज घराने के सदस्य थे । शुद्धोधन के राज्य की राजधानी  कपिलवस्तु नाम से जानी जाती थी । राजकुमार सिद्धार्थ के जन्म से पूर्व रानी महामाया ने एक सपना देखा था । उस सपने में उन्होंने एक सफ़ेद हाथी देखा और उस सपने में मधुर संगीत भी था और सुन्दर नृत्य घटित हो रहा था ।  उस सपने का अर्थ दारर्शनिक विद्वानों ने सकारात्मक बताया था । दरअसल उनके सपने में देव दूत सुमेध आये थे जो उनके द्वारा जन्म लेने के लिए अनुमति पाने के लिए विनंती कर रहे थे  ऐसी मान्यता है । सपने का अर्थ जानने के बाद रानी महामाया बहुत खुश हुई थी । जब जन्म देने का समय बहुत नजदिग आ गया था तब रानी महामाया ने रीती अनुसार राजा शुद्धोधन से अपने पिता के घर जाने की अनुमति चाही । राजा उन्हें रोकने की कोशिश की क्योंकि समय काफी बित चुका था । पर राजा उन्हें...

धम्मपद हिंदी में

दुनिया का कोई भी शत्रु इतनी हानि हमें नहीं कर सकता , जितना के मन में बैठे तृष्णा , नफ़रत और ईर्ष्या । हमारे अस्तित्व का सारा सार निर्भय होने में ही है । निडर रहो , हमारा क्या होगा इसकी चिंता छोड़ दो , किसी पे निर्भर न रहो । तभी तुम असली अर्थो में मुक्त कहलाओगे । सेहत सबसे बड़ा उपहार है , संतुष्टि सबसे बड़ी दौलत , विश्वास ही सबसे बड़ा रिश्ता है। किसी पर बस इतने के लिए भरोसा मत करो क्योंकि तुमने सुना है , सहज मत मान लो क्योंकि पीढ़ी दर पीढ़ी चला आ रहा है , विश्वास न करो क्योंकि बहुत लोग कह रहे है और अटल है , इसलिए नहीं मानो क्योंकि पवित्र ग्रंथो में लिखा है , बस इसलिए ही नहीं मानो क्योंकि शिक्षक , उच्च पदस्थ बड़े या होशियार लोग कहते है , विश्वास तभी करो जब तुम खूबी से निरीक्षण और चिंतन मनन करो और वह तुम्हारे तर्क पर उतरकर मान्य होकर सभी के लिए लाभकारी हो । जो हर एक जीवन में , खुद में ,और दूसरे सजीवों में और इसके विपरीत भी , एक जीवता का अनुभव करता है , वह हर चीज विपक्ष भाव से देखता है । एक बार एक इंसान ने भगवान बुद्ध से जीवन का मूल्य पूछा तो भगवान ने कहा " जीवन का कोई विशेष मूल्य नहीं है...