संदेश

सितंबर, 2024 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

पंचशील

  पंचशील बौद्ध धर्म की मूल आचार संहिता है जिसको बौद्ध उपासक एवं उपासिकाओं के लिये पालन करना आवश्यक माना गया है। हिन्दी में इसका भाव निम्नवत है- हिंसा न करना, चोरी न करना, व्यभिचार न करना, झूठ न बोलना, नशा न करना। बौद्ध धर्म के पांच अतिविशिष्ट वचन हैं जिन्हें पञ्चशील कहा जाता है और इन्हें हर गृहस्थ इन्सान के लिए बनाया गया है। 1. पाणातिपाता वेरमणी सिक्खापदम् समदियामी मैं जीव हत्या से विरत (दूर) रहूँगा, ऐसा व्रत लेता हूँ। 2. अदिन्नादाना वेरमणी सिक्खापदम् समदियामी जो वस्तुएं मुझे दी नहीं गयी हैं उन्हें लेने से मैं विरत रहूँगा, ऐसा व्रत लेता हूँ। 3. कामेसु मिच्छाचारा वेरमणी सिक्खापदम् समदियामी काम (रति क्रिया) में मिथ्याचार करने से मैं विरत रहूँगा ऐसा व्रत लेता हूँ। 4. मुसावादा वेरमणी सिक्खापदम् समदियामी झूठ बोलने से मैं विरत रहूँगा, ऐसा व्रत लेता हूँ। 5. सुरामेरयमज्जपमादट्ठाना वेरमणी सिक्खापदम् समदियामी मादक द्रव्यों के सेवन से मैं विरत रहूँगा, ऐसा वचन लेता हूँ।        वन्दना (हिन्दी अर्थ सहित) नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासम्बुद्धस्स । नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासम्बुद्धस्स । नमो तस्स भ