बौद्ध धर्म और स्वर्ग ?
सबसे पहले यह जानना ज़रुरी है की भगवान बुद्ध ने परमेश्वर वाद को नकारा है | उनके अनुसार इस दुनिया में कोई ऐसी शक्ति नहीं है जिसने सृष्टि या विश्व का निर्माण किया है | हमारा जीवन और सारी भौतिक चीजें लगातार परिवर्तन करती रहती है जो पहले ही किसी प्रकार के अस्तित्व में होती है | यह चीजें जो हमेशा से ही अस्तित्व में रही है इसलिये उसे सनातन कहते है | धर्म के नियम भी एक जैसे ही रहेंगे | अज्ञानता की वजह से प्राणी इस संसार से मुक्त नही हो पाता | बुद्ध ने आत्मा के अस्तित्व को भी नकारा है | उनके अनुसार मनुष्य के जीवन का केंद्र मन है , और मन को सरल बनाकर ही मुक्ति का अहसास मिल सकता है | मन को पवित्र बनाने केलिए उनके बताये अष्टांग मार्ग का पालन करना चाहिए | अगर परमेश्वर नहीं है तो यह सृष्टि कैसे चलती है यह प्रश्न पड़ता है | भगवन बुद्ध ने कहा है जिस प्रकार कोई वाहन निर्जीव होकर भी सजीव जैसे प्रतीत होता है , उसी प्रकार किसी भी घटना को क्रमश देखकर यह लगता है के उसमे कोई अर्थ है | लेकिन वाहन के कही पुर्जे होते है और वह जब चलता है तो सजीव प्रतीत हो सकता है , उसी तरह जो हम देखते है उसे वास्तविक मानते है